अपनी धुन

मेरा मन कहता है

Friday, December 31, 2021

The Silence of Swastik - Biggest Betrayal of 20th Century : Review

Youtube चैनल AKTK Documentry की ये डॉक्यूमेंट्री आपको इतिहास के उस झूठ से अवगत कराती है, जो एक क्रिश्चियन पादरी ने कैसे एक क्रॉस को स्वास्तिक बना दिया। हमारी उस वक़्त की गुलामी का फायदा उठा कर कैसे हिटलर के hakenkreuz जो की hook cross का जर्मन रूप था। जेम्स मेरी नाम के पादरी ने हिटलर की आत्मकथा का अनुवाद करते हुए, इसको स्वास्तिक कह दिया। जो आज तक कैसे चला आ रहा है।इसकी पूरी कहानी रिसर्च के साथ के साथ है।
की कैसे हमारे शांति के प्रतीक को एक नरसंहार का संकेत बना दीया गया। 
ये लिंक है, जरूर देखिये।


धन्यवाद AKTK TEAM

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Friday, December 24, 2021

अतरंगी रे :- धनुष कमाल करते हो .....

कहानी :-  
आनंद राय एक बार एक ताजा कहानी लेकर आये है। रीमेक के इस दौर में एक ताजा कहानी का आना अच्छा लगता है। लव स्टोरी ऐसे भी लिखी जा सकती है। बिहार के सिवान से शुरू होकर दिल्ली होते हुए तमिलनाडु के चेन्नई  से वापस आकर दिल्ली में खत्म होती है, तो आप चाहते है ,की  कहानी अभी और चलती तो अच्छा रहता।  जब ऐसा  फील हो, तो आप जानते है, कि सामने कुछ अच्छा हुआ है। 
पॉजिटिव:
       धनुष बेहतरीन एक्टर है। जब भी स्क्रीन पर आते हैं , राज करते हैं ।  एक तमिलियन हिंदी जितनी  अच्छी बोल सकता है , वो बोल रहे हैं। क्योंकि ऐसे लोगो से मिला हूँ। जो हिंदी क्षेत्रों में  रह रहे है। 
अक्षय जो करते हैं , अच्छा करते है। तो जो उनका काम है , जो मिला है करने को अच्छा किया।  सहायक भूमिका में हैं । तो कहानी को ओवरपावर नही किया । thats good।
सारा का काम अच्छा है। उनके एक्सप्रेशन अच्छे हैं।
ये उनका,अब तक का सबसे अच्छा काम है। 
धनुष का विशु जब जब गुस्से में या इमोशनल होता है, तो तमिल बोलता है। ये हम सबके साथ होता है, तो आप उस कैरेक्टर से रिलेट करते हैं । 
संगीत:-  A. R. Rehman का संगीत हो और उसमें कमी निकाली जाए। मजाक न करो यार, संगीत बेहतरीन है। 
निगेटिव :-
 अगर आपको तमिल नही आती तो कुछ हिस्सों में आपको दिक्कत होगी। so you needsubtitle for those parts. हॉटस्टार को शुक्रिया सबटाइटल के लिए।
सारा की रिंकू का बिहारी एक्सेंट लिटिल बिट ऑफ लगता है। लेकिन चुभता नही है।
मेरे लिए फ़िल्म एंटरटेनिंग है।
4 आउट 5  स्टार।
गो एंड वाच इट on हॉटस्टार।

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Wednesday, September 7, 2016

साड़ी वाली Girl

 आज ऑफिस के लिए निकला, बज्र दुपहरियां  में भाई गजबै  घाम निकला रहा। आज रोड पे कईयो  लड़की साड़ी पहिन के घूमत  रहे, then i think, these are 20th century girls, why the hell they are wearing saree. थोड़ी देर में माथा  ओ तेरी आज Teacher's Day है।  so these are teachers and they are celebrating. एक बात है, they were looking HOT in Saree.  ससुरा एक बात नही समझ आई, हमारे स्कूल में एक भी  Hot Teacher नही थी. It doesn't mean I do not respect my Teachers. It just every boy has fantasy about that one teacher. I don't have that. अब अगर हमके साड़ी वाली Girl Hot लगी तो, एका मतलब ई न है कि, i am a pervert. I am a Good person with naughty heart. naughty मतलब समंझ रहे हो न , समझदार तो हो आप लोग।  
अरे हाँ साड़ी पे वापस आ जाते है जरा , मतलब साड़ी वाली गर्ल पे, the thing is, I like Saree वाली Girl. I can Easily fall for a girl who is wearing a nice looking saree. It gave them a decency. Wearing A Saree walking Slow. It looks Classy Like गजगामिनी। गजगामिनी का मतलब पता है न , न पता तो हमरे ठेंगें  से, Google Baba से पूछो ऊ बताएँगे का होता है Gajgamini . 
So here is my secret i like saree wali Girl. So if you want me go for you just wear a good saree and be a Gajgamini. Don't worry about being Gajgamini just wear a Saree it will make you. because it doesn't gave you a free walk. 
Sure आप वो पहनो जो पहनना चाहते हो, रही बात मुझे इम्प्रेस करने के लिए कोई साड़ी क्यों पहने? Just see my pic with this Article or whatever you want to Call it, कतौं कोने में होइ। और अगर फोटो न तो Facebook पे खोज के फैसला कै ल्यो। 


Jokes aside GIRLS do Look Hottest in Saree.


This Is Vikram Thakur Signing Off 
bye See You Later

Friday, October 2, 2015

रोमियो जूलिएट से कहीँ बड़ा है, सुधा चन्दर का दर्द


भारतीय टीवी जगत अब बदल रहा है। अनिल कपूर के 24 के बाद अब #Lifeok टीवी चैनल पर सास बहु के ड्रामों से अलग एक नया शो शुरू हुआ है। #एक_था_चन्दर_एक_थी_सुधा जो डॉ. धर्मवीर भारती के मशहूर उपन्यास #गुनाहों_का_देवता पर आधारित है। जिन लोगों ने इसे पढ़ रखा है उन्हें इस कहानी के बारें में बताने की आवश्यकता नही है। जिन्होंने नहीं पढ़ी उन्हें बताता चलूँ , रोमियो और जूलिएट सुधा और चन्दर के आगे कहीं नही ठहरते। समस्या ये है कि, हमारी पीढ़ी में से ज्यादातर लोगों ने इसे पढ़ा नही है। जिस तरह रोमियो जूलिएट का प्रचार हुआ। सुधा और चन्दर की कहानी का नहीं हुआ। शो की कहानी सिर्फ 20 एपिसोड की है। जो इस कहानी की भावना को पूर्ण रूप से दिखाने में सक्षम नही है। अभी इस शो के 6 एपिसोड प्रसारित किये जा चुके हैं, जो बेहतरीन है , निर्माताओं ने पहली बार किसी साहित्यिक रचना पर दांव खेला है। इसके लिए वो बधाई के पात्र हैँ। जरुरत है कि, इस शो को सफल करके, टीवी को सास बहु की साजिशों से मुक्त किया जाये। और हाँ एक बार गुनाहों का देवता पढ़े जरूर ताकि,सुधा और चन्दर के दर्द को पूरी तरह समझ सकें। 20 एपिसोड की कहानी में उनका संताप आपको समझ नही आएगा। इसे पढ़ते वक़्त कई बार आँखे नम हो जाती हैँ। यक़ीन करिये इसे पढ़ने के बाद आप यही कहेंगे। वाकई रोमियो और जूलिएट ने तो कुछ भी नही सहा है, सुधा और चन्दर के आगे।

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Wednesday, August 5, 2015

क्या है सेकुलरिज्म ?

सच में क्या है ये सेकुलरिज्म, जी मुझे तो ना समझ में आता । सेकुलरिज्म नाम की चिड़िया है भी या नहीं। कम से कम भारत में तो नहीं ही है। भारत में सेकुलरिज्म हाथी के दिखाने वाले दाँत हैं बस, और कुछ नहीं। इस देश में सेकुलरिज्म के नाम पर तुष्टिकरण होता है, बस और कुछ नहीं।
याद आता है कुछ सालों पहले हिमेश रेशमिया का एक गाना आया था। जिसके बोल थे -:
तेरी यादों नें तन्हा न छोड़ा कहीं,
मैं तन्हाइयों में भी तनहा नहीं
या अली अली अली...
जिसका इस कदर विरोध हुआ की हिमेश को गाने के बोल बदलने पड़ गए और अली शब्द की जगह दिल्लगी  शब्द का इस्तेमाल किया गया। मसला गाने के वीडियो में अभिनेत्री के छोटे कपड़ो को लेकर था । तथाकथित सेक्युलरिस्ट खड़े हो गए सेकुलरिज्म का झंडा लेकर - जी ये मुस्लिमों की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है। अभिनेत्री ने छोटे कपड़े पहने हैं। लिहाज़ा अली शब्द का उपयोग इस्लाम और उसकी आस्था के खिलाफ है।
दूसरी तरफ हिन्दू धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ करती पूरी फ़िल्म आ जाती है। तो किसी हाथों में सेकुलरिज्म का झंडा नही दीखता। उलटे इसके विरोध में आने वाले लोगों को धर्मांध होने का मेडल दे देतें हैं।

हम हमेशा गुजरात दंगो की बात करते हैं, जो हुआ गलत था ये मानने में कोई गुरेज नही है मुझे। लेकिन यही सेक्युलर लोग मऊ में हुए दंगों की बात क्यों नहीं करते।
एक आदमी ने कहा याकूब मुस्लिम है इसलिए उसे फांसी दी जा रही। चल पड़े सारे सेक्युलर अपने आपको सबसे बड़ा सेक्युलर साबित करने। उस बयान के पहले तक सारे सेक्युलर कहाँ सोये थे। एक आदमी बोला, तो बाकियों को लगा की कहीं ये बाज़ी न मार जाये। और सेकुलरिज्म की ऐसी आंधी चली की याकूब की फाँसी नें आधुनिक भारत के निर्माता डॉ. ऐ.पी.जे. अब्दुल कलाम की आखिरी यात्रा का तेज कम पड़ गया।
सभी सेक्युलरिस्ट को एक आतंकवादी की फाँसी का दुःख था। किसी भी सेक्युलरिस्ट को एक राष्ट्र निर्माता के लिए रोते हुए नही देखा मैनें।
मेरे इस देश में एक बड़ा संकट ये उत्पन्न हो गया है। कि कोई सरकार के काम को चेक करना चाहता है तो उसे राष्ट्रदोही बताया जाने लगता है, और गालियां सुनने लगता है। और अगर कोई सरकार के अच्छे कामों का जिक्र करता है, तो उसे भक्त की उपाधि दे दी जाती है।
कोई भी स्वस्थ वार्तालाप के लिए तैयार नही दीखता।
तुम देशद्रोही हो---- तुम भक्त हो।
हे ईश्वर अगर तुम कहीँ हों और अगर पुनर्जन्म का कोई अस्तित्व है तो मुझे दोबारा भारत का नागरिक मत बनाना। नहीं बनना मुझे भारत का सेक्युलरिस्ट, इससे अच्छा मुझे इजराइल में पैदा करना कम से कम क्लियर रहेगा की मैं यहूदी हूँ। ये सेकुलरिज्म का कन्फ्यूज़न तो नही रहेगा।
एक बात और
याकूब की फाँसी में मुझे सिर्फ एक बात नहीं समझ आई। दोषी पाया सुप्रीम कोर्ट ने दया याचिका ख़ारिज की राष्ट्रपति ने। दोबारा सुनवाई करके सुप्रीम कोर्ट ने सजा बरकरार रखी। इन सब के बीच में ये सेक्युलर लोग मोदी को ले आये ये कैसे हो गया। सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति के मामले में मोदी कहाँ से आ गए।
अब यहीं रुकना ठीक होगा वरना मैं भी भक्त बता दिया जाऊंगा।

अभी इस जनम के लिए तो जय हिन्द

Wednesday, July 29, 2015

कलाम का जाना........

डॉ. अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम पूरा नाम था उनका, दो दिन पहले चले गए। पूरा देश रोया क्या हिन्दू , क्या मुसलमान, क्या सिख, क्या ईसाई । सारे भेद खत्म हो गए, कम से कम उस एक पल के लिए जब, कलाम गए। अपने जीवन में पहली बार पहली बार हिंदुस्तानी का हिंदुस्तान देखा। कम से कम उस पल के लिए जब कलाम चले गए। सोचता हूँ क्या हिंदुस्तान में ऐसा पहले कभी हुआ है? सुना की हां हुआ है, जब बापू गए थे तब,  उस वक़्त भी पूरा हिंदुस्तान रोया था।
बापू ने तो नए भारत की नींव रखी थी, इसलिए भारत रोया था। कलाम ने ऐसा क्या किया की आज भारत उनके जाने पर रो रहा है। कुछ मिसाइलें ही तो बनायीं, परमाणु शक्ति संपन्न ही तो किया है, इस देश को। क्या इसलिए देश रो रहा है।
शायद नही, देश रो रहा है की उनके कारण ही आज हमारे देश को विश्व मंच पर गंभीरता से लिया जाता है।
चीन आज क्यों सीधे हमला करने से कतराता है। अमेरिका आज दक्षिण एशिया में अपने कदम जमाने के लिए भारत के साथ अच्छे सम्बंधों का हामी क्यों है। क्योंकि आज भारत  दक्षिण एशिया में एक मजबूत राष्ट्र है, क्योंकि उसके पास परमाणु शक्ति है। आज भारत परमाणु शक्ति संपन्न क्यों है,क्योंकि कलाम थे। कलाम ने भारत को विश्व मंच पर उसकी आवाज़ दी। इसलिए भारत रोता है।
एक बात और बापू की हत्या हुयी थी, क्योंकि इतना कुछ करने के बाद भी कुछ लोग थे जो नाराज थे उनसे।
पर ऐसा कुछ भी नही हुआ जब कलाम गए। कोई भी उनसे नाराज़ नही है, बस सब नैनों में नीर हैं जब कलाम गए।

Thursday, December 11, 2014

मुम्बई की शाम

दिन भर सूरज की गर्मी में उमस से तड़पते इस शहर में शाम के वक़्त मरीन ड्राइव पर बैठा हुआ हूँ। दिन भर शहर के सीने पर चढ़ा रहने वाला समन्दर अब धीरे-धीरे इसके पाँव धोने लगा है। मानो कोई माँ दिन भर अपने बच्चे को सजा देने के बाद अब उसे मनाने की कोशिश कर रही है।
सुना था कि मुम्बई कभी नही रुकता चाहे वो कसाब हमला हो या अंधाधुंध बारिश ! सच है ये शहर नही रुकता और न ही रुकता है इस शहर का अपने समन्दर पर हमला जो दिन चढ़ने के साथ इसमें ज़हर भरने लगता है। चढ़ते सूरज के साथ के साथ इसका हमला तेज होने लगता है तो समंदर का गुस्सा भी इस शहर के लिए बढ़ने लगता है, तभी तो दिन भर इस शहर के सीने पर अपना सर पटक-पटक कर इसे जगाने की की कोशिश करता है। दिन ढलने पर शहर के साथ साथ मानो ये भी थक जाता है, और शांत हो जाता है।
हर सुबह के साथ शुरू हुई इन दोनों की जंग शाम होते-२ रुक जाती है। मानो युद्ध विराम का ऐलान दोनों ने साथ साथ ही कर दिया हो। न जाने कब तक इनके बीच ये जंग चलती रहेगी? कौन जीतेगा ? मै ये भी नहीं जानता फ़िलहाल तो मरीन ड्राइव पर बैठ कर चाय की चुस्कियों के साथ इस युद्ध विराम के मजे ले रहा हूँ।
जय महराष्ट्र फुर्सत रही तो फिर मुलाकात जल्दी ही होगी।

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